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    संत रैदास का जीवन परिचय | Sant Ravidas Biography » UPSC Biography

    संत रैदास का जीवन परिचय | Sant Ravidas Biography in Hindi
    संत रैदास का जीवन परिचय

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    संत रैदास का जीवन परिचय इन हिंदी
    संत रैदास का जीवन परिचय इन हिंदी

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    कवि संत रैदास जी का संक्षिप्त जीवन परिचय

    पूरा नाम गुरु रविदास जी
    प्रसिद्ध नाम रैदास, रूहिदास, रोहिदास
    जन्म वाराणसी के पास सीर गोवर्धनपुर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
    जन्मस्थल 1377 AD से 1398 AD के बीच
    पिता का नाम श्री संतोख दास जी
    माता का नाम कलसा देवी
    दादा का नाम कालू राम जी
    दादी का नाम लखपति जी
    गुरु का नाम पंडित शारदा नन्द
    पत्नी का नाम लोना देवी
    बेटे का नाम विजय दास
    मृत्यु 1540 AD (वाराणसी)

    संत रैदास का साहित्यिक जीवन परिचय



    भक्तिकालीन कवियों ने संत रैदास महत्वपूर्ण स्थान है, हिंदू साक्ष्यों के अभाव में आज भी इनका जीवन अंधकारपूर्ण है। रैदास के कृतियों में उनके अनेक नाम देखने को मिलती है। जिन उच्चारण की दृष्टि से बहुत बड़ा अंतर है। रैदास  (पंजाब), रविदास (आधुनिक), रायदास, रदास (बीकानेर की प्रतियों में), रायिदास आदि नाम इस उच्चारण भिन्नता को ही प्रकट करते हैं। इसलिए लोक-प्रचलन और सुविधा की दृष्टि से इनका मूल नाम रैदास हो स्वीकार किया जाता है। भक्तमाल में कहा गया है की रैदास रामानंद के शिष्य थे। स्वत: रैदास की वाणी में भी ऐसे उद्धरण उपलब्ध है। जहां उन्होंने स्वामी रामानंद को अपना गुरु स्वीकार किया है।

    रामानंद मोहि गुरु मिल्यो, बायो ब्रह्मविसास।
    रस नाम अमीरस पिऔ, रैदास ही भयौ फ्रांस।।

    रामानंद का समय 14वीं शताब्दी के मध्य से 15वीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक माना जाता है किंतु इसकी विरोधी धारणा यह भी प्रचलित है कि रैदास मीरा के गुरु थे। मीरा का समय सलामी शताब्दी के मध्य से 17वीं शताब्दी के आरंभ तक माना गया है। प्रायः सभी विद्वानों धारणा है की रैदास कबीर (जन्म सन् 1455) के समकालीन थे। रैदास के माता-पिता के बारे में प्रमाणित रुप से कुछ कहना कठिन जान पड़ता है

    रैदास के जन्म के संदर्भ में विद्वानों की आम राय यह है कि रविदास स्वामी रामानंद के 12 शिष्यों में से एक थे। उनका नाम रैदास प्रचलित हैं। उनका जन्म काशी में मुंड़वाडीह ग्राम में संवत 1471 में माघी पूर्णिमा को रविवार के दिन हुआ। रविवार को जन्म होने के कारण उनका नाम रविदास पड़ा।

    रैदास के निर्माण की तिथि तथा स्थल के विषय में कोई प्रमाणित सूचना नहीं मिलती। चित्तौड़ के रविदास जी भक्तों का कथन है कि चित्तौड़ में कुंभश्याम के निकट जो रविदास की छतरी बनी हुई है, वही उनके निर्वाण का स्थल है। उस छतरी में रैदास जी के निर्वाण की स्मृति स्वरूप रैदास जी के चरण चिन्ह भी बने हुए हैं। रैदास-रामायण के रचयिता के लिखा है। की रैदास गंगा तट पर तपस्या करते हुए जीवन मुक्त हुए। दोनों ही विचारधाराओं वाले लोग रैदास का ‘सदेह गुप्त’ होना मानते हैं। श्रद्धालु भक्त महापुरुषों का सदेह गुप्त को नहीं मान सकते हैं, किंतु इस सदेह गुप्त होने से एक संशय उत्पन्न होता है।

     वस्तुत: रैदास के निर्वाण को किसी ने देखा नहीं और इसलिए उनकी मृत्यु श्रद्धा पूर्वक ‘सदेह गुप्त’ अथवा ‘संदेह गुप्त’ का दिया गया। वस्तुत: रैदास जी अचानक किसी स्थल पर अनायास स्वर्गवासी हो गए होंगे और भक्तों को ज्ञान नहीं हो सका होगा, इसलिए उनके विषय में श्रद्धा पूर्वक सदेह गुप्त होने का बात चल पड़ी। रैदास के मृत्यु-स्थल का किसी को भी पता नहीं है। जहां तक रैदास जी की निर्वाण के वर्ष का प्रश्न है, कुछ विद्वानों ने रैदास का मृत्यु वर्ष संवत् 1597 माना है। ‘मीरा–स्मृति–ग्रंथ’ में उनका मृत्यु संवत् 1576 माना गया है। हां, यह बात अवश्य है कि रैदास के निर्वाण के संबंध में इन वर्षों को मानने वाले श्रद्धालु भक्तों ने उनकी आयु 130 वर्ष तक मान कर उनको कबीर से भी ज्येष्ठ सिद्ध करने की चेष्टा अवश्य की है। 

    साहित्यिक सेवाएं

    संत रविदास उन महान संतों में स्थान रखते हैं जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान किया। इनकी वाणी ज्ञानश्री होते हुए भी ज्ञानाश्रई एवं प्रेमश्री शाखाओं में मध्य सेतु की तरह है। 
    रैदास जी की प्रमुख रचनाएं 
    अनेक विद्वानों ने रैदास की वाणियों का संकलन करके रचना की है, जो निम्न है–
    1. आदि ग्रंथ में उपलब्ध रैदास की वाणी,
    2. रैदास की वाणी, वेलवेडियर प्रेस,
    3. संत रैदास और उनका काव्य (सम्पादक : रामानन्द शास्त्री तथा वीरेंद्र पांडे),
    4. संत सुधासार (संपादक: वियोगी हरि)
    5. संत-काव्य (परशुराम चतुर्वेदी) 
    6. संत रैदास : व्यक्तित्व एवं कृतित्व (संगम लाल पांडे)
    7. संत रैदास (डॉक्टर जोगिंदर सिंह)
    8. रैदास ( डॉ पदम गुरु चरण सिंह)
    9. संत रविदास (श्री रत्न चन्द)
    10. संत रविदास : विचारक और कवि (डॉ पदम गुरु चरण सिंह) 
    11. संत गुरु रविदास वाणी ( डॉ० वेणीप्रसाद शर्मा)।

    संत रैदास (रविदास) जी की भाषा–शैली

    रैदास की भाषा वस्तुतः तत्कालीन उत्तर भारत की सामान्य जनता के प्रति ग्राहा भाषा बनकर राष्ट्रीय एक सूत्रता भाषा बन गई थी। इनकी भाषा में अवधि एवं ब्रज के शब्दों का अधिकाधिक प्रयोग हुआ है। इनकी भाषा शैली की प्रसाद गुण संपन्न और मुख्यत: अभिधात्मक ही रही है। रैदास के काव्य में भावातीरेक की मात्रा अधिक थी, अतः उनकी रचनाओं में उस अतिरेक को प्रकट करने के लिए प्रतीकात्मक लाक्षणिक शैली अनेक स्थलों पर सहायक सिद्ध हुई है।

    संत रैदास (रविदास) जी की दोहे

    हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस।
    ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास।।

    करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस।
    कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास।।

    कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा।
    वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा।।

    कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै।
    तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै।।

    ऐसा चाहूँ राज मैं जहाँ मिलै सबन को अन्न।
    छोट बड़ो सब सम बसै, रैदास रहै प्रसन्न।।

    गुरु मिलीया रविदास जी दीनी ज्ञान की गुटकी।
    चोट लगी निजनाम हरी की महारे हिवरे खटकी।।

    जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात।
    रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात।।

    जा देखे घिन उपजै, नरक कुंड मेँ बास।
    प्रेम भगति सों ऊधरे, प्रगटत जन रैदास।।

    रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच।
    नर कूँ नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच।।

    रैदास कनक और कंगन माहि जिमि अंतर कछु नाहिं।
    तैसे ही अंतर नहीं हिन्दुअन तुरकन माहि।।

    रैदास कहै जाकै हृदै, रहे रैन दिन राम।
    सो भगता भगवंत सम, क्रोध न व्यापै काम।।

    वर्णाश्रम अभिमान तजि, पद रज बंदहिजासु की।
    सन्देह-ग्रन्थि खण्डन-निपन, बानि विमुल रैदास की।।

    हिंदू तुरक नहीं कछु भेदा सभी मह एक रक्त और मासा।
    दोऊ एकऊ दूजा नाहीं, पेख्यो सोइ रैदासा।।

    संत रविदास जयंती कब है

    16 फरवरी को संत रविदास (रैदास) जयंती है। परंतु, संत रविदास की जन्म तिथि को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं। कई इतिहासकारों का कहना है कि संत रैदास का जन्म सन् 1398 ईं में हुआ है। वहीं, कुछ जानकारों का कहना है कि उनका जन्म सन 1482 में हुआ है।

    FAQ; संत रैदास का जीवन परिचय | Sant Ravidas Biography in Hindi

    प्रश्न 1. संत रैदास (रविदास) का जन्म कब और कहा हुआ?
    उत्तर.  संत रैदास (रविदास) का जन्म काशी में मुंड़वाडीह ग्राम (वाराणसी) में संवत 1471 में माघी पूर्णिमा को रविवार के दिन हुआ।
    प्रश्न 2. संत रविदास किस काल के कवि थे?
    उत्तर– संत रैदास (रविदास) मध्यकालीन कवि थे।
    प्रश्न 3. संत रैदास (रविदास) के माता-पिता का क्या नाम था?
    उत्तर– ज्ञात नहीं, परंतु विद्वानों के अनुसार रविदास जी के माता का नाम कलसा देवी तथा पिता का नाम संतोख दस है।
    प्रश्न 4. संत रैदास (रविदास) के गुरु का क्या नाम था?
    उत्तर– संत रविदास जी के गुरु का नाम रामानंद था।
    प्रश्न 5. संत रैदास (रविदास) जी की मृत्यु कब हुई?
    उत्तर– संत रैदास (रविदास) जी का मृत्यु सन् 1597 ईस्वी को हुआ।

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