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    महादेवी वर्मा का जीवन परिचय | Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay

    महादेवी वर्मा का जीवन परिचय | Mahadevi Verma Ka Biography

    महादेवी वर्मा का जीवन परिचय | Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay
    महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

    लेखिका महादेवी वर्मा का संक्षिप्त जीवन-परिचय
    जन्म 1960 ई०
    जन्म-स्थान फर्रुखाबाद (उत्तर-प्रदेश)
    पिता गोविंद सहाय
    माता श्रीमती हेमरानी देवी
    युग छायावादी युग की लेखिका
    भाषा संस्कृतनिष्ठ खड़ीबोली
    शैली विवेचनात्मक, भावात्मक, व्यंगात्मक, चित्रात्मक, अलंकारिक
    हिंदी साहित्य में स्थान कविता के क्षेत्र में एक नवीन युग का सूत्रपात करने वाली कवित्री के रूप में चर्चित
    प्रमुख-रचनाएं साहित्यकार की आस्था, अबला और सबला, अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएं, श्रृंखला की कड़ियां, संकल्पिता
    मृत्यु / देहांत / देहावसान 11 सितंबर 1987 ईस्वी
    साहित्य पुरस्कार मंगला प्रसाद पारितोषिक, सेकसरिया पुरस्कार, पदम भूषण, पदम विभूषण, ज्ञानपीठ पुरस्कार (1983)

    महादेवी वर्मा का जीवन-परिचय | Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay


    महादेवी वर्मा ‘पीड़ा की गायिका’ के रूप में प्रसिद्ध छायावादी कवयित्री होने के साथ एक उत्कृष्ट कहानी लेखिका थीं। गुलाबराय-जैसे शीर्षस्तरीय लेखक ने लिखा है– “मैं गद्य में महादेवी वर्मा का लोहा मानता हूं” महादेवी वर्मा का जन्म फर्रुखाबाद के एक संपन्न कायस्थ परिवार में सन् 1960 ईस्वी में हुआ था। 


    इंदौर में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद इन्होंने क्रोस्थवेट गर्ल्स कॉलेज, इलाहाबाद में शिक्षा प्राप्त की।‌‌‌ इनका विवाह 11 वर्ष की आयु में ही हो गया था। ससुर जी के विरोध के कारण इनकी‌ में शिक्षा व्यवधान आ गया, परंतु उनकी निधन के पश्चात इन्होंने पुनः अध्ययन प्रारंभ किया और प्रयाग विश्वविद्यालय से संस्कृत विषय में M.A. की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की। 

    महादेवी वर्मा 1965 ईस्वी तक प्रयाग महिला विद्यापीठ के प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत रही। इन्हें उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्य भी मनोनीत किया गया। महादेवी वर्मा जी का देहांत 11 सितंबर 1987 ईस्वी में प्रयागराज (इलाहाबाद) में हुआ था। 

    महादेवी वर्मा की साहित्यिक जीवन-परिचय | Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay


    महादेवी वर्मा गद्य का आरंभिक रूप इनकी काव्य-कृतियों की भूमिकाओं में देखने को मिलता है। यह मुख्यता कवित्री ही थी, फिर भी गद्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कोटि के संस्मरण, रेखाचित्र, निबंध एवं आलोचनाएं लिखी। रहस्यवाद एवं प्रकृतिवाद पर आधारित इनका छायावादी साहित्य हिंदी साहित्य का अमूल्य विरासत के रूप में स्वीकार किया जाता है। विरह की गायिका के रूप में महादेवी जी को ‘आधुनिक मीरा’ कहा जाता है। महादेवी जी कुशल संपादक के रूप में ही ‘चांद’ पत्रिका नारी-जगत की सर्वश्रेष्ठ पत्रिका बन सकी।
        महादेवी वर्मा जी ने साहित्य के प्रचार-प्रसार हेतु ‘साहित्यकार-संसद’ नामक संस्था की स्थापना भी की। इन्हीं ‘नीरजा’ काव्य-रचना पर सेकसरिया पुरस्कार और ‘यामा’ कविता–संग्रह पर ‘मंगलाप्रसाद पारितोषिक’ से सम्मानित किया गया। कुमाऊं विश्वविद्यालय ने इन्हें ‘डी० लिट्०’ की मानद उपाधि से विभूषित किया। भारत सरकार से ‘पद्म भूषण’, ‘पद्म विभूषण’ भी इन्हें प्राप्त हुआ था। ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ महादेवी वर्मा को 1983 में दिया गया।

    महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं / कृतियां :–

     महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं / कृतियां अगर अग्रलिखित हैं 

    निबंध-संग्रह :-

    ‘क्षणदा’, ‘श्रृंखला की कड़ियां’, ‘अबला और सबला’, ‘साहित्यकार की आस्था’, ‘संकल्पिता’ आदि। निबंध संग्रहो में इनकी साहित्य तथा विचारात्मक निबंध संग्रहीत हैं।

    रेखाचित्र :–

    ‘अतीत के चलचित्र’, ‘स्मृति की रेखाएं’ इनकी प्रमुख रेखाचित्र रचनाएं हैं।

    संस्मरण :-

    ‘पथ के साथी’, ‘मेरा परिवार’, ‘स्मृति चित्र’, ‘संस्मरण’ आदि। महादेवी वर्मा की प्रमुख संस्मरण रचनाएं हैं।

    भाषण संग्रह :–

     ‘संभाषण’ ।

    संपादन :–

    ‘चांद’ पत्रिका और ‘आधुनिक कवि’ का विद्वत्ता के साथ संपादन किया।

    काव्य–रचनाएं :-

    ‘निहार’, ‘नीरजा’, ‘रश्मि’, ‘दीपशिखा’, ‘यामा’, ‘सप्तपर्णा’, ‘प्रथम आयाम’ एवं ‘अग्नि रेखा’ महादेवी वर्मा जी केआई प्रमुख काव्य रचनाएं हैं।

    भाषा–शैली :- 

    महादेवी जी की काव्य-भाषा अत्यंत उत्कृष्ट समर्थ एवं सशक्त है। संस्कृत निष्ठा इनकी भाषा की प्रमुख विशेषता है। इनकी रचनाओं में उर्दू और अंग्रेजी के प्रचलित शब्दों का प्रयोग भी हुआ है। मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग भी इनकी रचनाओं में हुआ है जिससे इनकी भाषा में लोक जीवन की जीवन्तता का समावेश हो गया है। लक्षणा एवं व्यंजन की प्रधानता इनकी भाषा की प्रमुख विशेषता है। इस प्रकार महादेवी वर्मा जी की भाषा शुद्ध साहित्यिक भाषा है। इनकी रचनाओं में चित्रों पर वर्णनात्मक शैली, विवेचनात्मक शैली, व्यंग्यात्मक शैली, अलंकारिक शैली, सूक्ति शैली, उद्धरण शैली आदि द्रष्टव्य है।

    FAQ; महादेवी वर्मा का जीवन परिचय | Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay

    Q1. महादेवी वर्मा को यामा रचना के लिए कौन सा पुरस्कार प्रेम हुआ है?


    Ans. महादेवी वर्मा जी को 'यामा' नामक काव्य संकलन के लिए उन्हें भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' वर्ष 1983 में प्राप्त हुआ।


    Q2. महादेवी वर्मा की सहेली कौन थे?


    Ans. महादेवी वर्मा जी की प्रिय सहेली और हिंदी साहित्य की एक और महत्वपूर्ण कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की भूमिका है। उनकी सहपाठी और रूम मेट सुभद्रा कुमारी चौहान उन दिनों स्कूल में अपनी लेखनी के लिए प्रसिद्ध थीं।


    Q3. महादेवी वर्मा के बेटे का नाम बताइए।


    Ans. महादेवी वर्मा जी की पुत्र का नाम रामजी पांडे था, जो की रामजी पांडे महादेवी वर्मा के बेटे थे।


    Q4. महादेवी वर्मा की कविता की भाषा क्या है?

     

    Ans. महादेवी वर्मा जी की प्रमुख भाषा हिंदी थी, वर्मा जी इन हिंदी में ही अपने काव्य की रचना करती थी।


    Q5. भक्तिन की स्पर्धा हनुमान जी से महादेवी वर्मा ने क्यों?

    Ans. महादेवी वर्मा जी ने उसे हनुमान जी से स्पर्धा करनेवाली बताया है। जैसे-सेवक-धर्म में हनुमान जी से स्पर्धा करनेवाली भक्तिन किसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्या गोपालिका की कन्या है। इसका वास्तविक नाम लक्ष्मी था लेकिन इसकी सेवा-भावना व भक्तिभाव को देखकर ही लेखिका ने इसे भक्तिन नाम दिया था।

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